4 अक्तूबर 2012


काव्य संकलन "राजधानी में एक उज़बेक लड़की "
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कवि -अरविंद श्री वास्तव
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राजधानी में जो लड़की है वो उज़्बेक है !राजधानी में कोई नाईजेरियाई लड़का भी हो सकता था !लड़की के होने में सहूलियत रही होगी !नाईजेरीयाई लड़का होता तो दो चार पाठक कम होने की आशंका रहती !शायद !
अरविंद कविता लिखते हुए एक मुकम्मल कुम्हार की तरह दिखते हैं जो हरेक तरह के बर्तन बना सकता है !दीये से लेकर सुराही तक !बर्तन भी साफ सुथरे और कलात्मक !पाठक चाहे तो दीये में पानी भरकर प्यास बुझाए या सुराही में तेल भरकर रोशनी पैदा करे !
कुछ कविताओं पर अरविंद का जबरदस्त कमांड दिखता है जिसमें कटेंट और टेकनीक साथ साथ चलते हैं !ना कटेंट आगे ,ना टेकनीक पीछे !मसलन "चवन्नी का लोकतन्त्र ,राजधानी में एक उज़्बेक लड़की , सुखद अंत के लिए ,तस्वीर में माँ और उसकी सहेलियाँ "
एक बात ओर गौरतलब है कि अरविंद छोटी और लंबी दोनों कविताओं पर महारत रखते हैं !सौ मीटर और मैराथन ,दोनों के धावक हैं जो अपने स्टेमिना का एकमुश्त उपयोग करता है या बाजरूरत !
पुस्तक में प्रेम शब्द की घेराबंदी खूबसूरत तरीके से हुई है !इस लफ्ज को कई मायने मिलते हैं !पता चलता है कि प्रेम शब्द की व्याख्या इस तरह भी हो सकती है !प्रेम में लोग बहुत कुछ करते हैं पर किसी ने आज तक हाथ छोड़ कर साईकल नहीं चलाई होगी !
अरविंद ने जीवन के हर पहलू पर लिखा है मसलन बाजार ,प्रेम बचपन ,शहर ,गाँव ,घर ,अपार्टमैंट ,अंधेरा ,रोशनी आदि !बक़ौल अरविंद अंधेरा दंडित हो रहा है !जब दीपक जलाया करते थे तो लगता था जैसे अंधेरा गौरवान्वित हो रहा है !अंधेरा जैसे धीमे धीमे मुस्कुरा रहा है !दीपक की लौ नृत्य करती हुई दिखती थी !धीमी रोशनी में भी एक दूसरे के चेहरे अंतरात्माओं की यात्रा करते थे !लेकिन अब नियोन ,सीएफएल ने इन सब पर पानी फेर दिया है !
अरविंद नए कवियों के दर्द को शिद्दत से महसूस करते हैं ! नया कवि कविताएं लिखकर राजधानी की मंडियों में भेजता है !वहाँ बैठा कोई बड़ा कवि ,नए कवि का कत्ल कर देता है और इस अपराध के सबूत तक नहीं मिलते !
अरविंद की छोटी कविताएं मन पर अंकित हो जाती हैं !उन्हें याद करने के लिए पाठक को मशक्कत नहीं करनी पड़ती !ये प्लस प्वाईंट है ! लंबी कविताएं लिखते हुए भी वे सतर्क रहते हैं !कहना चाहिए कि उनकी तराजू में सुनार के बाट हैं !पाठक माशा तौला को भी महसूस करता है !
अरविंद को पढ़ने का मतलब कविता के भीतर से गुजरना है !यात्रा के बाद लगता है जैसे कुछ चमकते कविताई कण अंतर्रात्मा पर चिपक गए हों !
कवि की कुछ काव्य पंक्तियों को साझा कर रहा हूँ !
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प्रेम में कईयों ने खून से खत लिखे होंगे
कईयों ने लिखी होंगी कविताएं
मैंने दौड़ाई साईकल
कई कई बार
हैंडल छोडकर
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बल्ब बत्ती ,सी एफ एल ,नियोन
ओर कितना दंडित होगा अंधेरा
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निचुड़ चुकी थी मेरी ताकत
मेरी ताकत
जो कभी माँ हुआ करती थी
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आर बी आई की आँखों की किरकिरी
बन गई थी चवन्नी
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बाजार ने पहले दबोचा
फिर नोचा
कि मजा आ गया
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----सीमांत सोहल
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